मिल अखबार ख्वलि बल
मिल अखबार ख्वलि बल
बस नेतों न ब्वालि
छप छपी खबरी देकि की
ना उड़ मेर तिबरी ना डंडाली
नौ बागीयों को बाग मा
देरादून को काज मा
एक बी डाली उपटि ना स्की
नौछमियों को राज मा
घ्वाड को बल खुटा टूटे
राजनीतियों न चूसा चूसे
खींच तानी सींच तानी
कैल रची हुलि ये करस्तानी
ऐगे फिर उमा उमाल जी
नि व्हाई कुच बी कमाल जी
हम जन् छय ऊनि रैग्युं
नेता वहैगैनि मालामाल जी
मिल अखबार ख्वलि बल .......
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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