ऐ जा मेर पास
ऐ जा ऐ जा मेर पास
मेर पास बैठि जा
सुणि जा मेर बात
ऐ जा ऐ जा ऐ जा ऐ जा ..... ऐ जा ..अ
सुणि जा मेर बात
ऐ जा .... ऐ जा..अ
डाली व बोटी क्या वणोंदी
जीकोडी खोली तेर क्या सुणोंदी
सुणि ले .... सुणि ले
ऐ जा मेर पास
सुणि जा मेर बात..अ
ऐ जा .... ऐ जा ..अ
उल्यारों को स्वागत
रंगों को बसन्त
पिंगला नीला भाँति भाँति फूल
गाड, गधेरा पंछी पौन..अ
सुणि ले ओँ कि सुणि ले
जियू की पुकार ..अ
ऐ जा .... ऐ जा ..अ
सुणोंद जा
क्या कैनि ऐ चारू दिसा
ना बण यन परदेशी ....
ऐना छन यख रंग रोज नया नया
सुणि ले सुणि ले , ले ले
एक बार ,एक बार ,एक बार
तेरु छ यख घार बार ..अ
ऐ जा .... ऐ जा ..अ
लठ्यालू होलो निरभागी होलो
प्रकृति दगड छुई जो नि लगलू
गईन फूटि कलि कोंपलें
सजाई दीने रति रंग भूमि ऐकी
अपंडी रतन्याली
अंख्यों न देखेलि औरृ सुणि ले
ऐ जा मेर पास
सुणि जा मेर बात..अ
ऐ जा .... ऐ जा ..अ
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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