आज परायु हुयाग्याई
बल क्या वहाई
सैतों पल्युओं नुआणुआ
आज परायु हुयाग्याई
विधात कण विपदा च या
कण खैरी च या
बड़ी गहरी च्या
कलेजी म्यारी चिर ग्याई
कपाली का रेखा
तील भी ये आँसुओं दिखा दयाई
भागा मेरा आंखोयाँ मा लुक ग्याई
गीची मेरी गीची
कैक बाण चुप राई
चुप चाप ये पाणी पी गयाई
बल क्या वहाई
सैतों पल्युओं नुआणुआ
आज परायु हुयाग्याई
ये वेदना हे देबता मेरा
कै का भगा मा ना आई
कै कुण ये दिन ना देखे ई
हातों का झुल्हा
ओ कन्दों मा झूमपा
पीठ मा घोडी
याद आणीबी अब भी थोड़ी थोड़ी
एईजा दुआड़ी दुआड़ी
बल क्या वहाई
सैतों पल्युओं नुआणुआ
आज परायु हुयाग्याई
ओ स्कोला दिण
ओ तेरी खोडी
कटा दिण कभी णा तेर बीणा
तैर बाण पुंगडी बीक ग्याई
फिर खैरी म्यार बाटा आयी
जख भी रै बेटा सुखी रै बेटा
तेरु जीवण यन दिण ना आयी
जन दिण तील हम थै दीखाई
आशीष भी म्यार रुदयाई
जणी आज क्या व्हाई........(२)
बल क्या वहाई
सैतों पल्युओं नुआणुआ
आज परायु हुयाग्याई
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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