रींग रिंग
छुयीं लगदे
मी थै अपरी
बात बथा दे
प्रीत बिंगा दे
ये मोबाईल जी दगडी छुयीं लग्दै
रींग रिंग
बज्दै कनु मा
आवाज आइजादी
ईण जीकोडी मा
ये मोबाईल मेर जी दगडी छुयीं लग्दै
गला गलुआडी हंसी
इण ना अब पिचका
आंखी लजाणी येरै
दात पट्टी तो छुपादे
ये मोबाईल जी दगडी छुयीं लग्दै
रेशमी लाटोंलों थै
बथों दगडी फर फरा दे
लाली लगी अटुओं मा
बंगडी हाथों मा पहन दे
ये मोबाईल जी दगडी छुयीं लग्दै
पहाड़ की बबली छुं
गढ़ देश की बेटी छुं
रामी जसी जाणी युकुली णी
अब मोबाईल दगडी छुं
ये मोबाईल जी दगडी छुयीं लग्दै
छुयीं लगदे
मी थै अपरी
बात बथा दे
प्रीत बिंगा दे
ये मोबाईल जी दगडी छुयीं लग्दै
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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