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मोको हाथ आयूँ च




मोको हाथ आयूँ च 

रण को शंख गरजी गै 
नेतओं की नींद हर्ची गै
विधान सभा चुनवा को 
बार गढ़ मा तैया हौयगे 
रण को शंख गरजी गै 
हरच्यां हरच्यां फिरण छंण सब 

३० जनवरी को बेलच
गढ़ा मा चुनवो को खेल च 
खाणी पीणी सब हर्ची गैणी 
विपदा उनकी उपरी ऐणी 
हरच्यां हरच्यां फिरण छंण सब 

जाग ये जन अब जगी जावा 
अब तुम्हरी बेल च उठाव अपर मुदा 
खिली दयावा तुम भी अब खिंड 
जीतणु हमण गैरसैण,पालयन और भ्रस्टाचार
हरच्यां हरच्यां फिरण छंण सब 

उठा दिदो भुल्हा भुल्ही
कसा दे अपरी अपरी कमर 
ये मुओका अब मीलाणु च हम थै
ना छुड़ा ना छुड़ा ये आंयी बात 
हरच्यां हरच्यां फिरण छंण सब 

रण को शंख गरजी गै 
नेतओं की नींद हर्ची गै
विधान सभा चुनवा को 
बार गढ़ मा तैया हौयगे 
रण को शंख गरजी गै 
हरच्यां हरच्यां फिरण छंण सब 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी 
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