हरी तेरी नगरी मा
मण का तासुं
रहेगे प्यासु
हरी तेरी पीडी मा.......२
ये जिज्ञासु
अंतर आत्म तांसु
देख हरीद्वार मा
मण का तासुं............
कण मची च लुँट
भक्त भक्त थै लुटाणा
हरी तेरी नगरी मा
पाप मा खिला फुल
काण चढ़ाण तेरी पाडी मा
मण का तासुं.............
गंगा मा बोग्याण पाप
कंण कर्म कणड़ तेरी पीडी माँ
फुल दीप संजी थाली दीदा
माया का रुप्युं णी लजाणी तेरी पाडी मा
मण का तासुं.............
देख जख तक त्रस्त
जन जन तेरी नगरी मा
कबैर सरकार कबैर पंडा
कबैर दुकान कबैर दुकानदार
सब की सब लुटण हरी तेरी नगरी मा
मण का तासुं.............
हरीद्वार मा हरी दर्शन हर्ची
माँ गंगा कजल्याँण लगे
देखा पाप अड़म्भर को गढ़
ठेखेदर भी अब खादयाण लगे
मण का तासुं.............
मण का तासुं
रहेगे प्यासु
हरी तेरी पीडी मा.......२
ये जिज्ञासु
अंतर आत्म तांसु
देख हरीद्वार मा
मण का तासुं............
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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