आज का व्यक्ती
आज का व्यक्ती
बाड़ा ही व्यथीत
आपने विचारो से गृहीत
सभी सेवाओं से है निर्वीत
आज का .........
समय नहीं है
पर समय पर वीलम्बीत
आगे बढ़ ने की चाह
हर समय पीडीत
आज का .........
दो शब्द प्यार के
दो मील चलकर याद आयें
अपने पराये भीड़
हर वकत अकेला पाये
आज का .........
साँस लेने की फुर्सत नहीं है
सीगरेट खुब सुलगाये
बीवी और बच्चों से ज्याद
टी .वी अब इसे भाये
आज का .........
रेस लगी दुनीया मै
सब के सब लगे हैं दुआड मै
माया जब ठग जायेगी
तो खड़ा होगा एक छोर मै
आज का .........
विस्मित विमोड़ की मुर्ती
छुप रही है अब तेरी किर्ती
वो मोड़ दुर नहीं इस अड़ मै
जब बीक जयेगा बीच बाजार मै
आज का .........
आज का व्यक्ती
बाड़ा ही व्यथीत
आपने विचारो से गृहीत
सभी सेवाओं से है निर्वीत
आज का .........
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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