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वेदना


वेदना
अभी तक जखम भारे ही नहीं थे
पाक के लिये बहारों का मोसम क्यों आया
वाजपेयी  हो या  मनमोहन
हाथ हो या कमल क्या फर्क ?
कश्मीर की लड़ाई  ख़तम ही नहीं होई
शहीदूं के माजर फुल चाडे ही नहीं
कस्बा कब  तक जींदा रहेगा
तब तक मेरा जखम हरा रहेगा
फिर आयगी आंधी
क्या फिर उजड़ेगी मुंबई
नजाने यह दोस्ती का हाथ
कब तलक मिलाता रहेगा भारत
अब तो शर्म करो सियाशतदरो
राजनीती  को खेल के मैदान न बनावु
हमे रहने दो शांति से अब
अब इस हिंदुस्तान का दूसरा पाकिस्तान ना बनवा
वेदना है मेरे अंत: कारण मै
मेरे भगत सिंग राजगुरु सुखा देव की भूमि को
और ना गंधी राजनीती  फंदे पर  तुम झुलाहो
सोने  दो हम आम लोगों को हमे  ना तुम अब जगाऊ
मै नहीं भूल सकता ओ नजार
जीसे  सारी दुनिया नै देखा था
ताज ,ओबेराया और सी.स.टी
ट्रेन मै बम के धमके मेरे जहाँन घर कर बैठा है
मेरी वेदना क्या मेरे तक सीमित रहेगी
जय भारत जय देव भूमि
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कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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