बेटी बावरी
दीदी काकी
बुअडी चाची
समन्य हो समन्य हो समन्य हो
डंडी काँटी
गँवा की बाटी
पुन्गाडी सारी
मैत की यारी
ससुराल की लज्जा भारी
समन्य हो समन्य हो समन्य हो
तू चै पहाड़ की नारी
तेहाव माँ शक्ति चै भारी
कास्टा का जीवन बिताये
तील कभी आहा नी भारी
समन्य हो समन्य हो समन्य हो
तू चै पतिवर्ता नारी
रमी बुराणी
सारा जीवन यकुली यकुली
उन की याद बितादी
समन्य हो समन्य हो समन्य हो
उत्तराखंड का तू चै जान
तेरु खातिर हम थाई मेले मान
हम थाई याकु अभिमान
साद र्रेण्णी रहलू ये गढ़वाल
समन्य हो समन्य हो समन्य हो
बेटी बावरी
दीदी काकी
बुअडी चाची
समन्य हो समन्य हो समन्य हो
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कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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