परदेश मा जब हुंदु मी उदाषा
जब हुंदु मी उदाषा
मी अजन्द गडवाला की याद
यकुली यकुली रुंदु मी
कोई नीच म्यार पास
खुद लगी च आज
मी छुं सात समोदर पार
टका का मया भैजी
अन्ख्यूं मा बरसात
कोई नीच म्यार पास.....
मन्ख्यों रीटानी रहन्दी
बाबा बोई दीदी भूली की याद
गांवं-खावल्यों मा खुज्यनी
होली मी थै मेरी प्यारी आजा
कोई नीच म्यार पास.....
एक्युली एकुली में सच्णु मी
क्या सच्णु मी आजा
सदाणी मील रहणी यणी
याखरा बलदा की जात
कोई नीच म्यार पास.....
कब आली बसंत
कब खिलेला फूल
कब आलू ओ दिन
पहुंचा दे घुघु मयारू रैबार
कोई नीच म्यार पास.....
रामी बुरानी सी हेराणी वा
मेरी सुन्जाडया मेरी बाटा
उतराखंड मेरु दिल च
वें कु छुडी मी भी छु उदाषा
कोई नीच म्यार पास.....
जब हुंदु मी उदाषा
मी अजन्द गडवाला की याद
यकुली यकुली रुंदु मी
कोई नीच म्यार पास
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमी बद्री केदारनाथ
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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