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क्या सोचे हे दिल

क्या सोचे हे दिल 

क्या सोचे हे दिल वो जाने ना(२) 
इस दुनिया के दस्तूर तू क्यों माने ना (२)

जो सोचे वो तू होता नहीं 
जो न सोचे वो हो जाता है 
न ही मुकदर का ठिकाना 
ना जाने सिकंदर को कब आना 
क्या सोचे हे दिल वो जाने ना(२) 

आँखों मै बंधी है पाटी 
नजारा लेकिन सब दीखता है
एक चेहरे पे एक चेहरा 
कैसे यहाँ देखो छीपता है 
क्या सोचे हे दिल वो जाने ना(२) 

एक रोटी कई लिये यहाँ पर 
कैसे कैसे षडयन्त्र चलता है
पेट की भूखा मीटने के लिये 
अबरू भी बीच बाजार बीकता है
क्या सोचे हे दिल वो जाने ना(२) 

अपनी कायानात देखकर 
आज खुदा भी रोता होगा
और कोसता होगा आपने को 
क्यों इन्शान को मै नै जनम 
क्या सोचे हे दिल वो जाने ना(२) 

अब भी वक़त है ओ नर
जरा उस से अब तो डर
बार बार ओ कहा रहा 
भार्रन्ती भार्रन्ती त्रश्दी लाकर 
क्या सोचे हे दिल वो जाने ना(२) 

क्या सोचे हे दिल वो जाने ना(२) 
इस दुनिया के दस्तूर तू क्यों माने ना (२)
जो सोचे वो तू होता नहीं 
जो न सोचे वो हो जाता है 
न ही मुकदर का ठिकाना 
ना जाने सिकंदर को कब आना ..................

बालकृष्ण डी ध्यानी 
देवभूमी बद्री केदार नाथ

कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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