मेरा उत्तरखंड
उजाड़ भीहड़ मेरा वन
मन को करता है छीन
कोई तु आके काटें बुन
जवानों ना जाओ फुंड
कभी तू गावं की सुन
नेगी जी बज नै लगी धुन
तू भी मेरे संग गुन
ना दुआड दुआड उकाली का बटा उकाली का बटा
उजाड़ भीहड़ मेरा वन
मन को करता है छीन.....
उजाड़ भीहड़ मेरा वन
मन को करता है छीन
कोई तु आके काटें बुन
जवानों ना जाओ फुंड
कभी तू गावं की सुन
नेगी जी बज नै लगी धुन
तू भी मेरे संग गुन
ना दुआड दुआड उकाली का बटा उकाली का बटा
उजाड़ भीहड़ मेरा वन
मन को करता है छीन.....
मै उत्तराखंड आप को बुला रहा हूँ कब आओगे ?
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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