देव भूमि जगजननी हे माँ
जवानों तुम जा रहे मुझे इस तरह छुड कर
क्या याद भी नहीं आती मेरी वंहा पहुँच कर
मै तू देखती हों हरदम तुम्हे ही मुड मुड़कर
एक दिन कोई आयेगा और मुझे फिर से खिलायेगा
मेरे सपनू की दुनिया मुझे कोई ली जायेगा
जवानों तुम जा रहे मुझे इस तरह छुड कर
जवानों तुम जा रहे मुझे इस तरह छुड कर
क्या याद भी नहीं आती मेरी वंहा पहुँच कर
मै तू देखती हों हरदम तुम्हे ही मुड मुड़कर
एक दिन कोई आयेगा और मुझे फिर से खिलायेगा
मेरे सपनू की दुनिया मुझे कोई ली जायेगा
जवानों तुम जा रहे मुझे इस तरह छुड कर
मै उत्तराखंड आप को बुला रहा हूँ कब आओगे ?
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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