ADD

शाएरी शाएरी अब तुम्हारी शाएरी


देखों  तेरे  आँखों  को
ये सा नशा मुझे छाया
बिन पिये ही मुझको
ये खुद जनत नजर आया



कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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