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शाएरी शाएरी अब तुम्हारी शाएरी




हम तू मरते रहे सीतम पर इतना
सितम नै कभी ना चाह हो जीतन
उम्र कट गयी दहलीज़ पर यों खडे रहातै रहातै
आपनी मोहबत हर रोज़ सोलिपर चढ़तै चढ़तै
हम तू मरते रहे सीतम पर इतना



बालकृष्ण डी ध्यानी
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