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भगवान, माया और मेरा अहंकार


भगवान, माया और मेरा अहंकार 

अब भी न गया मोका 
क्यों दे रहा है अपने को धोख 
सब का यही सपना 
जंहा का सब  कुछ हो आपना...

छिन जाये सुख चाहे चैन
अहम  का ओडै गहना 
साथ खड़ी उसकी बहना
इस माया का क्या कहना 

सब का यही सपना 
जंहा का सब  कुछ हो आपना...

रोटी कई लिये देश छुडा 
आपनो से ही नाता तुड़ा
विधाता क्यों दिया इतना थोडा 
भगतों से ही आपना मुहं मोड़ा 

सब का यही सपना 
जंहा का सब  कुछ हो आपना...

अपनों को बनया बेगाना 
हम मै से कीसी नै ना जाना 
कैसा ये दोलत का बहाना 
फँस गया सारा जमाना 

सब का यही सपना 
जंहा का सब  कुछ हो आपना...

माया और लालच को 
कर अलविदा बन्दे 
अपने अहम् को तज बन्दे
पान चाहता गर जगको तो बन्दे


सब का यही सपना 
जंहा का सब  कुछ हो आपना...

जीवन एक लकीर है
तो  यंहा पर फ़कीर है
तू बहुँत ही गरीब है
तेरे पास खड़ा ना रकीब है 

सब का यही सपना 
जंहा का सब  कुछ हो आपना...

अब भी न गया मोका 
क्यों दे रहा है अपने को धोख 
सब का यही सपना 
जंहा का सब  कुछ हो आपना...


बालकृष्ण डी ध्यानी 


कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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