पतझड
समय एक नहीं होता
सब साथ नहीं होता
बीछड ते रहते सभी
आबाद नहीं होता
समय एक नहीं होता
बीते लहमे याद नहीं
आपनो का आगाज नहीं
अश्क जो बहते आंखे
उनका जवाब नहीं
समय एक नहीं होता
गीरते रहते पत्ते पत्ते
उनका हिसाब नहीं
मजधार मै है नैया
मंजी मगर पतवार नहीं
समय एक नहीं होता
पतझड मै उजागर होता है
आपने पराये फर्क होता है
हरयाली को देखा मन
यंहां सबक सब लुटत है
समय एक नहीं होता
अकेल अकेला चलता
साँस भर चलत रहत
खड अकेले अकेले ये दर्द
वक़्त गुरजते देखता
समय एक नहीं होता
समय एक नहीं होता
सब साथ नहीं होता
बीछड ते रहते सभी
आबाद नहीं होता
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ