हीसाब देखा
कण मुंड खात कापली देखा
नेताओं की ये जात देखा
बस्मासुरों की बारात देखा
उत्तराखंड का ये हल देखा
कण मुंड खात कापली देखा
टेहरी को भूलह डैम देखा
कदग खाएं वों क हीसाब देखा
रडद मन्खी को आगा देखा
हसंद मुखडी को तेज देखा
कण मुंड खात कापली देखा
सडकी को हल देखा
बीजली बेहाल देखा
योजना की भरमार देखा
कदक लुटयां हम वों क हीसाब देखा
कण मुंड खात कापली देखा
जवाणु को पल्याँन देखा
गरीबी की मार देखा
रीता गों गोठ्यर देखा
वो की घार मा बहार देखा
कण मुंड खात कापली देखा
आपरी आपरी ना देखा
जानत थे की भी देखा
खाकी टोप्ल्याँ दीदा
त्यार टोप्ल्याँ क्यच लुंक्य दीदा
कण मुंड खात कापली देखा
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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