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मेरी दीदी


मेरी दीदी 

भूलह :
आप यूँ ही चलते रहन
पहाडी नारी आगे बडते रहना 
पहाड़ आप हो गहना
दीदी आप का क्या कहना

दीदी :
राखी के इस शुभ अवसर पर 
दिया है तुमने कितना प्यार --सम्मान 
बद्री -केदार के आशीर्वाद के साथ- साथ 
मिल गया भाई से भी मान .

भूलह :
साद खिलती रहे मेरी दीदी
गड्वाला के फूलो के समान
पग पग मै मिलता रहे दीदी 
आपको ये मान-सम्मान

भूलह :
जब छु ले असमान दीदी
तिरंगा को हाथों से थम 
जुर से अव्वाज लग दे दीदी 
मेरा भारत मेरा उत्तराखंड महँन 

तींरंगे की आप शान 
आप पर मेरा खंड कुर्बान 
बोलेगा गड एक एक बाचा
आप हो नारी की पहचान 


देवभूमी -बद्री केदार 
विजय पन्त तुली पर्वतारोहक 
बालकृष्ण डी ध्यानी




कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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