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दारू


दारू 

बाजरों मा दीदा कण बिकणी बिकणी च हे दारू
बारड़ झुमा घुटकी लगे घुटकी लगे के हे बारड़
बजरों मा दीदा बिकणी च हे दारू......................

कंण मुंडा मरू दारू का हे दीदा हे दारू 
मन उड़ आकाश दारू का दीदा हे दारू
जब चड़ी नशा दारू का दीदा हे दारू
मी करू तमाशा दारू का दीदा हे दारू

बाजरों मा दीदा कण बिकणी बिकणी च हे दारू
बारड़ झुमा घुटकी लगे घुटकी लगे के हे बारड़
बजरों मा दीदा बिकणी च हे दारू......................

नन्हा भुलाह देखाणु च देखाणु आज हे बारड़ 
कण मती मारी तेरी आज बारड़ हे बारड़ 
करया तील आज जग हँसाई बारड़ हे बारड़ 
माटा कण लटवाणु आज बारड़ हे बारड़ 

बाजरों मा दीदा कण बिकणी बिकणी च हे दारू
बारड़ झुमा घुटकी लगे घुटकी लगे के हे बारड़
बजरों मा दीदा बिकणी च हे दारू......................

क्या बोलल लोग हे बारड़ क्या बोलल लोग
दुरका बाण हे बारड़ छूवी लागला गवा का लोग
बुअडी थै मुंडार मुंडारु हुग्याई बारड़ हे बारड़ 
कं बंज पुअडी तेरी क्तुम दरी की बारड़ हे बारड़ 

बाजरों मा दीदा कण बिकणी बिकणी च हे दारू
बारड़ झुमा घुटकी लगे घुटकी लगे के हे बारड़
बजरों मा दीदा बिकणी च हे दारू......................

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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