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कैसे हाँ

कैसे हाँ 

कैसे हाँ जी कैसे हाँ 
तुम सै ये जी कैसे कह दे हाँ 
सुनो जबां दिल की हाँ 
कैसे सुने इस जबां की हाँ 
कैसे हाँ जी कैसे हाँ .......

असमानी ये बूंदे हाँ 
तन को तेरे चुमे हाँ 
आँखों नै कह दिया हाँ 
नजरों को पडले हाँ 
कैसे हाँ जी कैसे हाँ .......

दिल मे गोते खाये हाँ 
मुख सै देखो ना आये हाँ
कैसी कशीश कैसा नशा है हाँ 
सुनने को दो शब्द बस हाँ 
कैसे हाँ जी कैसे हाँ .......

सोलह साल प्यार है हाँ 
बड़ ही कामाल है ये हाँ 
तीर चलता नजरों सै हाँ
घायल करता कीतानो को हाँ 
कैसे हाँ जी कैसे हाँ ......

बधन समाज का हाँ 
फिर ना तन माने हाँ 
कैसा ये जुबान है हाँ 
राधा बीना ना मोहन है हाँ 
कैसे हाँ जी कैसे हाँ ......

कैसे हाँ जी कैसे हाँ 
तुम सै ये जी कैसे कह दे हाँ 
सुनो जबां दिल की हाँ 
कैसे सुने इस जबां की हाँ 
कैसे हाँ जी कैसे हाँ .......


बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

कवी बालकृष्ण डी ध्यानी 
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