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सब भुली गैणी

सब भुली गैणी

सब भुली गैणी ....(२)
ओ मंदर घुठ्यार
ओ तीज त्य्होहर
ओ भै भैनु को प्यार
ओ गीत होलार
सब भुली गैणी ....(२)

चीठीणी आयी मेरी
मी लगी रायुं सारा
भुली गैणी सब मीथै
हे म्यार गढ़वाल

सब भुली गैणी ....(२)
ओ टेड मेड सड़की
ओ उंदर उकाला
ओ रुल्युं का ढुंग
ओ गद्न्युं का गार

बैठी रायुं मी खुदै मा
तीमला का सारा
अब आल मेरी बोई
म्यार अन्खोंया का तारा

सब भुली गैणी ....(२)
ओ हीन्शोला की बूंदी
ओ बोरंश का फुल
ओ काफल कींनगोड़
ओ अल्मोड़ा बीज्मोडा

कखक बठै याद आणी
टका की माया मा खोया
कीले मन हर्शाणु
दुर अंखोम ओझल हुयां

सब भुली गैणी ....(२)
ओ डंडा कंडी
ओ बल्दों की घंडी
ओ कुल देबत को मान
ओ माँ नंदा को जात

कीले तु पुकारणी
को भी णी आणु
तेरी मयाली जीकोडी
कीले च आज ताप्रणु

सब भुली गैणी ....(२)
ओ पुरानी टेहरी,गैर सैण
ओ क्रांतीकारी कख गैण
ओ चन्द्रसिंग गड्वाली
ओ सुमन सैन

आब रीत हूँयां ये गड
अब तु ही सैण
राजधानी मा सीयाँ
मेरा नेता गण

वी भी भुली गैणी ....(२)
म्यार उत्तराखंड
मेरी खैरी गरीबी
मेरा सीद सादा लोग
मेरे प्रगती मेरे भाष
मेरु पहाड़ मेर गवां
सब भुली गैणी ....(२)

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
 

कवी बालकृष्ण डी ध्यानी 
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