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कु सुणुलु आज


कु सुणुलु आज 

भोरीगै उमल
पीड़ा उभरी आणद  
कैमा लगणी  हका
कु सुणुलु आज 
भोरीगै उमल

गालु मयारू तंसु
बोझे नीच तीस 
जीकोडी मा झाकं 
कखक लुकीच खुद 
भोरीगै उमल

आंखी का पाणी
सर उडी जंद 
बीरण वो देश 
कीले दुअड़ी जांदा 
भोरीगै उमल

कोयाडी लुकैणी
गैणी बारामाशा 
उदेहडू जीवण
खिली चोमाषा
भोरीगै उमल

भोरीगै उमल
पीड़ा उभरी आणद  
कैमा लगणी  हका
कु सुणुलु आज 
भोरीगै उमल

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 


कवी बालकृष्ण डी ध्यानी 
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