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कई चेहरे


कई चेहरे

राह मै जब चला मै 
कई चेहरे मेरे साथ चले आये
आपनो के साथ साथ थे
कुछ अकेले ही चले आये 
राह मै जब चला मै 

आज महसुस होआ 
कुछ खोया खोया सा लगा 
धुंधले से इस जीवन मै 
धुंधल धुंधल सा लगा 
राह मै जब चला मै 

रीशता तु होगा सबका 
आज अलग अलग लगा 
आँखों मै दुख और पानी 
आज खामोश सा लगा 
राह मै जब चला मै 

चेहरे उभरी लकीर पर
कुछ लिखा लिखा सा लगा 
दबी दबी सी हंसी पर 
दर्द उभर उभर सा लगा 
राह मै जब चला मै 

भीड थी बहोत वहां 
पर सब अकेले अकेले नजर आये
या तु मेरी नजर का दोष था 
या फिर उस रवानगी को होश था 
राह मै जब चला मै 

राह मै जब चला मै 
कई चेहरे मेरे साथ चले आये
आपनो के साथ साथ थे
कुछ अकेले ही चले आये 
राह मै जब चला मै 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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