एक खालीपन
वैसे तो मे बात नहीं करता इस जमाने से
एक खवाब बुनता हों आपने गरीब खाने मे
जब भी चलता हों एक खमोशी साथ होती है
यादों की चुप चाप एक बारात चलती है
वैसे तो मे बात नहीं करता
एक खालीपन आप भी म्हासुस करते होंगे
मेरी तरह आप भी उस से लडते होगे
आपनी परछाई से श्याद झगड़ ते होंगे
अकेले पन से तुम भी तू डरते होंगे
वैसे तो मे बात नहीं करता
बस एक समय ही है जो साथ गुजरा रहा है
वो आगे आगे मै पीछे पीछे चाल जा रहा हूँ
शुन्या सा एक शोर सा गूंजता जा रहा है
कान के परदे को मेरे वो फहडा जाता है
वैसे तो मे बात नहीं करता
अब तक क्या कीया एक विचार सा कोंधा जाता है
मुझ को और कमजोर वो कर जात है
आँखों मै याक यक अँधेरा सा छाह जाता है
जीन्दगी बस एक प्यास है तब समझ आता है
वक़त उसके दर पर जब जाने का जब आता है ............(२)
वैसे तो मे बात नहीं करता
वैसे तो मे बात नहीं करता इस जमाने से
एक खवाब बुनता हों आपने गरीब खाने मे
जब भी चलता हों एक खमोशी साथ होती है
यादों की चुप चाप एक बारात चलती है
वैसे तो मे बात नहीं करता
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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