मै केवल मै
बात मै बात निकली
नयी शुरवात निकली है
पहले से हालत पतली
हाल के पहले निकली है
देखो ना किसी की सगी है
लालच जो सबसे जुड़ी है
इसका तो एक ही खुदी है
धन दोलत की और मोड़ी है
मैं मे तो अहंकार समाया है
हम मे ही ओ उमड़ आया है
रवांण का हर्ष समझ ना आया
सीता को कलयुग ने रोज भगया है
दुष्यासान आती भरमाया है
इस जीवन से तुने क्या पाया है
कोका के साथ विस्की मिलाया
ठारे पर इसका मन आया है
यही तो वो मया है
जिस मे सारा खेल समया है
बात मै बात निकली
नयी शुरवात निकली है
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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