प्रपंच एक वेदना का
छुरा:
चूड़ी लैलूं बेंदी लैलूं
चल तु बाजार.
बात मेरी माण सुवा
अब लगा माया
छुरी :
मील णी आईणी
तै दगडी देख बाजार
चूड़ी णा ले बेंदी णा ले
णा लगा माया
छुरा:
ऊँचा नीशा डंडा मेरा
ध्यै लगाणु च
आज मी थे खुदा तेरी
घारा बोलणु च
छुरी :
जब छुडी की गया स्वामी
ये देशा ये घार
अब किले आणा छुं आ
यूँ बिसरी बाट
छुरा:
आंखयुं मा मेरी प्यारी
नींद सरैण
तेरी फुटु देख देखी की
दीण काटेणा
छुरी :
बस्ग्याल गयाई स्वामी
गयाई बार मास
बाट हेरा हेरा का स्वामी
हुन्ग्युओं हड्गो आज
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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