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प्रपंच एक वेदना का


प्रपंच एक वेदना का 

छुरा:
चूड़ी लैलूं बेंदी लैलूं 
चल तु बाजार.
बात मेरी माण सुवा 
अब लगा माया 
छुरी :
मील णी आईणी 
तै दगडी देख बाजार 
चूड़ी णा ले बेंदी णा ले 
णा लगा माया 
छुरा:
ऊँचा नीशा डंडा मेरा 
ध्यै लगाणु च 
आज मी थे खुदा तेरी 
घारा बोलणु च 
छुरी :
जब छुडी की गया स्वामी 
ये देशा ये घार 
अब किले आणा छुं आ 
यूँ बिसरी बाट 
छुरा:
आंखयुं मा मेरी प्यारी 
नींद सरैण 
तेरी फुटु देख देखी की 
दीण काटेणा 
छुरी :
बस्ग्याल गयाई स्वामी 
गयाई बार मास
बाट हेरा हेरा का स्वामी 
हुन्ग्युओं हड्गो आज 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

कवी बालकृष्ण डी ध्यानी 
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