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दहेज़ एक प्रथा

दहेज़ एक प्रथा


खरीद कीसी पराये नै नहीं 
अपनु नै ही खरीद लिया 
बीच बाजार मै नै आज 
आपने को ही बैच दिया 

आपने को ही बैच दिया 

मै नै आपने पर बोली 
मुंह से आपने लगाई 
सोदा कीया पाका मैने 
लाज भी ना मुझ को आयी 

आपने को ही बैच दिया 

आपनी ही सगनी की 
मैनै की देखो रूसवाई 
ललचा ही अब देखो 
मेरी अर्ध्नागी कहलाई 

आपने को ही बैच दिया 

डोली मै बैठा रहा मै 
ओ देखो घोडी पर आयी 
कार नगदी ,दहेज संग 
अब हुयी मेरी विदाई 

आपने को ही बैच दिया 

मै ने ब्याह था दहेज से
अब लालच ही मुझे भाये
रोज रोज तानो से अब 
मन मेरा देखो हर्षये 

आपने को ही बैच दिया 

जब तक हीम्मत थी 
उसकी लती रही लुट लुट कार
जब हीमत टुटी उसकी 
आगा या फंदे पर वो झूली 

आपने को ही बैच दिया 

अब मै फिर से आजाद हों
अपने को बेच नै के लिये 
कोई खरीदार हो तु खरीद लो 
तयार हूँ दुलहा बनाने के लिया 

आपने को ही बैच दिया 

एक कोने मै बैठा 
पश्चात रहा हों मै 
दहेज़ एक प्रथा नहीं 
लोगों को समझ राहों 

आपने को ही बैच दिया 

खरीद कीसी पराये नै नहीं 
अपनु नै ही खरीद लिया 
बीच बाजार मै नै आज 
आपने को ही बैच दिया 


बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

कवी बालकृष्ण डी ध्यानी 
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