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ये हमरा बटवा


ये हमरा बटवा

गत गत गात करत 
हम पै वो फ़क्र करत 
हर एक के पास होता 
हर वक़्त रुबाब करत 
ये हमरा बटवा

बटवा बड़ कमाल 
लुट गया बीच बाजार 
घर आने की थी देर 
कटने मै लगी ना बैर
ये हमरा बटवा

तारिख के अनुसार 
आ जाता सब को प्यार 
तारिख के अनुसार 
रूठ जाता है सबके साथ 
ये हमरा बटवा

कभी मचाये हाला 
कभी खड करे बवाल 
महीने के आगाज मै हरी 
अंत तक हो जाये कंगाल 
ये हमरा बटवा 

उसमे छुपी है छवी
मेरे घर बार की 
उस से ही जुडी खुशी 
इस संसार की 
ये हमरा बटवा

रीश्ते दरी भी निभाये 
मेरे प्यार की 
दुःख मै भी बहये 
मेरे संग वो अश्रु धार की 
ये हमरा बटवा 

एक अंग बन गया 
मेरे वो एक यार सा 
इस दिल को ना चैन आता 
जब तक उसे देखा ना जाता है 
ये हमरा बटवा 

गत गत गात करत 
हम पै वो फ़क्र करत 
हर एक के पास होता 
हर वक़्त रुबाब करत 
ये हमरा बटवा

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 


कवी बालकृष्ण डी ध्यानी 
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