तेरी पुंजी तेरे बोल
पंछी बण उड़ जाणा
णा तेरा बसेरा णा तेरा ठीकणा
लाख तेरा बहाणा बाटुही
कुआणा तुझे समजाणा
पंछी बण उड़ जाणा
नीरल निरंकार जीवण
सुख दुःख एक झांसा
इस फंदे मै फंसकर
कीतणु को तुनै त्यागा
पंछी बण उड़ जाणा
त्याग नै की आयी बारी
तो तु सर पखड़कर भागा
कीतण मोहा माया
देख अब तेरे कम णा आयी
पंछी बण उड़ जाणा
जीवण का मोल बड़ा ही अनमोल
कुछ णा बोल सका पर बोल प्यार के बोल
ये ही तेरी पुंजी है ये ही तेरे लोग
जाने के बाद भी याद आओगे इनको हर रोज
पंछी बण उड़ जाणा
पंछी बण उड़ जाणा
णा तेरा बसेरा णा तेरा ठीकणा
लाख तेरा बहाणा बाटुही
कुआणा तुझे समजाणा
पंछी बण उड़ जाणा
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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