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अश्कों को पी गया


अश्कों को पी गया 

गम मै जी गया 
जीन्दगी भी जी लिया 
रसके मोहबत के खातीर 
अश्कों को पी गया 
गम मै जी गया ....................

गुरबातै मक़ाम पर 
आहटों को सुन लिया 
जाती होई बयार का 
दर्द हुआले से छु गया 
गम मै जी गया.......................

पत्तों की आड़ मै छुपा वो 
दिल ने उसे सुन लिया 
खाक मै भी मीला वो 
रखा की तरहं उड़ गया 
गम मै जी गया.......................

मकबरे असर इश्क का 
कब्र मै दफनाया सा गया 
बरसी मै आकर देखो मेरे 
फूलों से भी सजाया गया 
गम मै जी गया.......................

गम मै जी गया 
जीन्दगी भी जी लिया 
रसके मोहबत के खातीर 
अश्कों को पी गया 
गम मै जी गया ....................

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

कवी बालकृष्ण डी ध्यानी 
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