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वी बरखा की रात



वी बरखा की रात 

णी आईणी णी आईणी नींदी यूँ अन्ख्युं मा
भारमैणी भारमैणी यऊ छाल अन्ख्न्युं थै............(२)

सारा सारा दीण गैनी राता बैरी आईणी 
उदस दीण केले सारा दिण-रात म्यार दगडी च 
णी आईणी णी आईणी नींदी यूँ अन्ख्युं मा.........(२)

बरखा की सर-सर कीले करणी होली भीतर भैर 
यूँ ना म्यार अन्ख्युं देखा ती थै रेघ देखी जली
भारमैणी भारमैणी यऊ छाल अन्ख्न्युं थै............(२)

सरग दीदा मैला खोला देख, चाल भुलह अपडा होला देख 
डंडा गडगडाना छीण,म्यार दगडी ओ ध्यै लगाणा छीन
णी आईणी णी आईणी नींदी यूँ अन्ख्युं मा.........(२) 

मी छों यकुली यकुली बाबड़अणु अपड ही दगड़
मनखी थै अपड ही समजाणु उनका बैगैर 
भारमैणी भारमैणी यऊ छाल अन्ख्न्युं थै............(२)

णी आईणी णी आईणी नींदी यूँ अन्ख्युं मा
भारमैणी भारमैणी यऊ छाल अन्ख्न्युं थै............(२)

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं 
-सर्वाधिकार सुरक्षीत
 

कवी बालकृष्ण डी ध्यानी 
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