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कण बैठा राहों


कण बैठा राहों 

रूडीयुं का दीण 
जीकोडी झुरोंदी 
ये मेर बोई 
याद तेरी ओंदी 
रूडीयुं का दीण ..............

कण बैठा राहों 
मी तीमला का सारा 
भुखी मेरी पोटी
तू खिलै जा रोटी सगा 
रूडीयुं का दीण ..............

बालपणण का खेला 
जावणी का उमाल 
बीराणु मूलक मांजी 
कैमा लगाणी खैर 
रूडीयुं का दीण ..............

दिन भर मै मंजी 
लग्युं रहूँ सारा 
आली मेरी चीठ्ठी 
आलो मेरो भी रैबार
रूडीयुं का दीण ..............

कोई णी अपरू 
ये परदेश घार
आइकै सप्न्युन मा जी 
बंधैजा मी थै धाड़
रूडीयुं का दीण ..............

रूडीयुं का दीण 
जीकोडी झुरोंदी 
ये मेर बोई 
याद तेरी ओंदी 
रूडीयुं का दीण ..............

बालकृष्ण डी ध्यानी 
देवभूमि बद्री-केदारनाथ 
मेरा ब्लोग्स 
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

कवी बालकृष्ण डी ध्यानी 
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