मन को छापलाट
त्यार मन को छापलाट
मी थै देखैणु च आज
त्यार तन का हेर
म्यार अन्खोंया मा देख
त्यार मन को छापलाट
क्या छु तेरु मन मा जो
छुची तै थै ताप्रनु च आज
भूकटी कीले तेरी भुन्याँ
क्या छुपाणी छे आज
त्यार मन को छापलाट
उदास कीले होली
कै का विचार मा खोली
बचा दे जरा आज
चुप चाप कीले होली
त्यार मन को छापलाट
तु मेरा देश की बांदा
तेरी बेंदी लाल गोला
तु छे के घोला मा
अब त म्यार दगडी बोला
त्यार मन को छापलाट
हे पहाड़ की नारी
अपरी विपदा
अपरी मा राखी
जंण नक की नथुली सजी
त्यार मन को छापलाट
त्यार मन को छापलाट
मी थै देखैणु च आज
त्यार तन का हेर
म्यार अन्खोंया मा देख
त्यार मन को छापलाट
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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