ADD

एक कल्पना मेरी


एक कल्पना मेरी 

कवी कविता और कलम
एक दुजे संग और मन 
पल पल बडती ये उमंग 
एक मेज और एक पेज 
कवी कविता और कलम.........

क्या सोचे क्या खोजे
इस मेज पर बैठे क्या बोझे
पल पल करवट लेती है 
जिन्दगी शब्दों को लपेटती
कवी कविता और कलम.........

पास की खिड़की मेरी 
सवेरे साँझा दोपहरी घेरी 
कभी पर्वत कभी नदी 
कभी पेड़ और संग सहेली 
कवी कविता और कलम.........

कभी खुशी कभी गम 
हरदम एक नयी पहेली 
दर्द के रिश्ते के संग 
खुशी की वो हमजोली 
कवी कविता और कलम.........

कल्पना का ये संसार 
हर समय एक नया आकर 
करे विश्व स्वंयम निर्माण 
देता हों इस कविता को विराम 
कवी कविता और कलम.........

कवी कविता और कलम
एक दुजे संग और मन 
पल पल बडती ये उमंग 
एक मेज और एक पेज 
कवी कविता और कलम.........

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

कवी बालकृष्ण डी ध्यानी 
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ