क्या खोयी
मील क्या पाई
मील क्या खोयी
ये गढ़ देश तै छुड़ीकी
ये मेरा देशा तै छुड़ीकी
मील क्या पाई ............
म ण की रेखा को जहाज
उड़ युं ये सुप्नीयुं अक्सा
पुन्ह्च गै सात समंदर पार
टाका माया मेर साथ साथ
मील क्या पाई .............
पीछणे छुटा गै अन्खोंयांमा
बारमास को बरसात
हैरी को बाटा हराण
ओ घुघूती को घुरण
मील क्या पाई .............
ऊँचा नीचा डंडा
ओ हरा भरा बाण
उकाली उंदरी म्यार मन्ख्युं
कण लगी परदेशा को फैरा
मील क्या पाई .............
बठैयुंच अब ओ धरा
अब आणी याद मेरा घार
ओ गढ़ देश मेर गढ़वाल
ओ मेर भारत विशाला
मील क्या पाई .............
मील क्या पाई
मील क्या खोयी
ये गढ़ देश तै छुड़ीकी
ये मेरा देशा तै छुड़ीकी
मील क्या पाई ............
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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