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क्रांती खो गयी


क्रांती खो गयी 

अधर पटल पर 
क्षीतिज है तेज 
मुख पर अंचा
और जल रहा देश 

कैसा है परिवेश 
भ्रस्ताचार निवेश 
मुख्टों पर छिपा
शब्द अग्निवेश 

बाण के तीखे
अस्त्रों पर ये 
मचा ये भेद
शांती पर अभेद 

लोक जन पर 
चल रह है खेल 
एक तरफ आम 
दूजी तरफ खास 

ठानी है अब तो 
अब बारी आयेगी 
देखना हमे अब 
गरीब या गरीबी हटाई जायेगी 

मंहगाई की आगा 
अब ना सही जायेगी 
सरकार अब तु
अपनी बात मनयेगी

खो गया है आज वो 
जो उठा था कुछ माह पहले
सो गया है आज वो
जिसने जगाया कुछ माह पहले

अधर पटल पर 
क्षीतिज है तेज 
मुख पर अंचा
और जल रहा देश 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

कवी बालकृष्ण डी ध्यानी 
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