बिबेक ना खोंयाँ भैजी मेरा
बदली बदली णी बदली हम
विस्की रम णी नीकलु अब हमरु दम
कथा च या पूराणी गाथा गढ़ा की
वोट दगडी नोट च साथ कच्बोली पडी काम
गम गम घुमाण लाग्यां
सत्ता का अब सब ठेखदार
कमल हाथ दगडी दगडी
हाथी सायकल पर सवार
बदली बदली णी बदली हम
विस्की रम णी नीकलु अब हमरु दम
करण कुण गढ़ को व्यापार
स्वार्थ गंध की इन मा च भरमार
जनता केले बाणणी लाचार
फिर लेणी कीले पाँच बरसा को आजर
कथा च या पूराणी गाथा गढ़ा की
वोट दगडी नोट च साथ कच्बोली पडी काम
जर समझी लीवन दाद भुल्हों
दांण बारडा साणयां बढ़यूँ
दोई दीण की नीच बारात
ये मेर दीदी भूली यूँ खैरी की च बात
बदली बदली णी बदली हम
विस्की रम णी नीकलु अब हमरु दम
तुम्हारो हाथ मा च गढ़ को हाथ
विचार कर जर फिर बोला आपडी बात
टक लगा की देश सुणनोच आज
क्या गढ़वाल करलू नयी शुरवात
कथा च या पूराणी गाथा गढ़ा की
वोट दगडी नोट च साथ कच्बोली पडी काम
बदली बदली णी बदली हम
विस्की रम णी नीकलु अब हमरु दम
कथा च या पूराणी गाथा गढ़ा की
वोट दगडी नोट च साथ कच्बोली पडी काम
उत्तराखंड विधान सभा चुनवा ३० जनवरी २०१२
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी

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