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मण स्थीती


मण स्थीती 

धणडू पड़युंच डाणडीयुं मा
कोयेडी छायी अन्खोंयुं मा 
बारमासा बार दिण गैण 
फिर स्वामी बोउडी णी येण 

धणडू पड़युंच डाणडीयुं मा.........

बरखा लगी च मनख्यूं मा
दणमण रुण छन जीकोड़ी मा 
माया प्रीती की सौत व्हैगे 
सुओण मैण मा रात व्हैगे 

धणडू पड़युंच डाणडीयुं मा.........

बसंत मा फुल्यार आयी 
कण मोल्यार आयी
चखल जण भुर उड़याँ 
आकाश सारु रीट होयां 

धणडू पड़युंच डाणडीयुं मा.........

घामा ही घाम च गढ़ धाम 
दुई घड़ी छेलुमा णा आराम
पंतेदर मा मची अब तिस 
उजाड़ पुंगड़ पाटों मा पीस 

धणडू पड़युंच डाणडीयुं मा.........

धणडू पड़युंच डाणडीयुं मा
कोयेडी छायी अन्खोंयुं मा 
बारमासा बार दिण गैण 
फिर स्वामी बोउडी णी येण 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी 
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