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दाणा पहाड़


दाणा पहाड़ 

दादाजी का लाठा चलै डम डम डम 
माटु उडैगै धरुपली को छम छम छम 
बुड़या दूर खांशीयुनो खो खो खो 
दादी कम-धणी छोडी की धो धो धो 

दादाजी हुडकी बाजै गुड गुड गुड 
दादी को बरमण लागै भन भन भन 
बीडी पीयू बुड़या सरू सरू सरू 
दादी की नीद उडैगै भुर भुर भुर 

दादाजी की ऐनक ग्याई ग़ुम ग़ुम ग़ुम 
दादीजी का दगडी अब वा घुम घुम घुम 
बाजार मा बुड़या जेलैबी देखी लार तुलाई चुल चुल चुल 
दादीजी णी ऐनक दादाजी कपाला मा लग्युं पायी धत धत धत 

दादाजी घड़ी कराणी ठक ठक ठक 
दादीजी जीकोडी करणी धक् धक् धक् 
बुड़या आवजा दयाई क्या बघत व्हाई सन सन सन 
दादीजी बोली त्यारू मोंडा मार रात व्हैग्याई गुर गुर गुर 

दादाजी का रिडेओ करै खर खर खर 
बुड़या धै लाग्याई दादाजी कखक गैण गैण गैण 
दादीजी बोली दादाजी सीयां छन ना कर शोर शो शो शो 
दादाजी की आवाज दयाई मी आणु छ भैरा थम थम थम 

अब मेरा पहाडा मा दाणा लोगों छ बास्याँ 
खिली योंसे अब भी पह्डामा प्युन्ली बुरंस
दूर चल गै घोलो छुडी की वो घुघूती हीलंस 
अब भी दाणी आंखी मा उनका आने की आस 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी 
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