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पादुका


पादुका 

चलो आजा हम 
पादुका से रूबरू हों जायें 
रहते हैं जो कदमो मै
आज उन्हे सर पै बिठाये 

दो की जोड़ी रहती साथ 
उन से हम कुछ सीख जाये आज 
कम कम से मंजील तक 
अब हम अपनों का साथ दे जायें 

चलो आजा हम 
पादुका से रूबरू हों जायें ........

रहते हैं दहलीज पर 
पार नहीं करते कभी हद
मर्याद का पाठ पड़ते 
वो जोड़ी पादुका की हर वक़त 

चलो आजा हम 
पादुका से रूबरू हों जायें ........

कथा मुझे वो याद आये
भाई-प्रेम प्रेम ने आंखें छालकाये
श्री राम के सिहासन विराज 
१४ बरस प्रभु चरण फिर पाये

चलो आजा हम 
पादुका से रूबरू हों जायें ........

हीन भावना से सब देखते 
अपने मन को मलिन खुद करते 
जब पग से मै विहीन हो जाओंगा
तब जाकर तुम्हे याद आऊँगा 

चलो आजा हम 
पादुका से रूबरू हों जायें ........

चलो आजा हम 
पादुका से रूबरू हों जायें 
रहते हैं जो कदमो मै
आज उन्हे सर पै बिठाये 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी 
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