देवभूमी
बद्री-केदार नाथ धाम
रामता जा मनवा मेरे
यंही हरी शिव मीलेंगे
पग धोहती होयी गंगा
पल मै पापा नशा होगा
दुःख दरिद्र का हस्ह को
जग मोहा माया को तज
मोक्ष मार्ग कर प्रशास्त बंदे
बद्री-केदार नाथ धाम
रामता जा मनवा मेरे
यंही हरी शिव मीलेंगे
पग धोहती होयी गंगा
देव भुमी अति बलहरी
संतों और देवों की प्यारी
पंड़ोंवों की स्वर्ग रूहण की द्वारी
भागीरथी तप्त स्थली अति भारी
बद्री-केदार नाथ धाम
रामता जा मनवा मेरे
यंही हरी शिव मीलेंगे
पग धोहती होयी गंगा
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी

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