एक इन्सान
कभी दफनाया गया
कभी मुझे जलाया गया
शरीर को इतना तडपाया गया
जाने क्या अहसास दिलाया गया ?
मजहबों मै बाटें समाज मै
मुझे इस तरह क्यों लया गया
कभी आर्थी पर लिटाया गया
कभी जनाजे पर उठाया गया
इबादत मै भी मेरे मुझे
दो भागों मै बाटा गया
कभी मस्जीद बिठया गया
कभी मंदिर मै सजाया गया
आवाज लगाने ईश को मेरे
मुझे इस तरह समझया गया
कभी हाथों को उठाया गया
कभी इन हाथों को जोड़ा गया
फर्क करना मुझे बस सीखाया गया
शांती का मार्ग मुझ से बिसराया गया
इन्सान हो मै इंसानीयत को मेरी
हर एक मोड़ मार्ग पर ठोकराया गया
कभी दफनाया गया
कभी मुझे जलाया गया
शरीर को इतना तडपाया गया
जाने क्या अहसास दिलाया गया ?
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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