रुअला जी
गढ़ देश पह्डामा
ऐ उत्तराखंड मा
लग्याँ रुअला जी
गीज्याँ रुअला जी .............२
हम दोई माया मा
पाणी सी छया मा
पड़ा रुअला जी
गीज्याँ रुअला जी .............२
डालीयुं की डाला मा
बंसरी की ताना मा
खोयाँ रुअला जी
गीज्याँ रुअला जी .............२
पुंगडी बल्दो का साथ
लकडाकु हल्दो दैणुच हाथ
जुओंत्या रुअला जी
गीज्याँ रुअला जी .............२
डंडी वो कुडी दैणी हाक
खैरी मा तू दै मेरु साथ
उकाला चढ़ण रुअला जी
गीज्याँ रुअला जी .............२
आंखी की गंगा धारा
गदनीयुं ऐगै नयारा
हीन्सोंला टिपदा रुअला जी
गीज्याँ रुअला जी .............२
काँच चूड़ी पंतेदार बाट
पैजण बजणी छुंयीं की बात
छम छम रूअला जी
गीज्याँ रुअला जी .............२
प्रभात जलो दिण जलो
शाम गयाई रता भी ग्याई
मस्त मा रुअला जी
गीज्याँ रुअला जी .............२
गढ़ देश पह्डामा
ऐ उत्तराखंड मा
लग्याँ रुअला जी
गीज्याँ रुअला जी .............२
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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