हुस्न ऐसा
हुस्न ऐसा की
खिल रहा गुलाबा
पँखोडीयूँ पर
छाया हों शबाब
हुस्न ऐसा की ........
चेहरे पर उमड़ा
है आफताब
ओस की बूंदों से
उछाला सागर आज
हुस्न ऐसा की ........
पलकें उठें
चिलमन लिहाफ
किसी कोने मै
घायल दिल आज
हुस्न ऐसा की ........
गेसओं ओढे
अंचल का साथ
माथे पर दमकता
जैसे सुरज हों पास
हुस्न ऐसा की ........
झुमके झूमता
सवान का साथ
कंगन खनखता
प्रेम की बरसात
हुस्न ऐसा की ........
हुस्न ऐसा की
खिल रहा गुलाबा
पँखोडीयूँ पर
छाया हों शबाब
हुस्न ऐसा की ........
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी

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