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मेरी ये कहानी है


मेरी ये कहानी है 
आप के लिये अनजानी है 
ये जो रवानी है 
दो दिन की जिंदगानी है
मेरी ये कहानी है .............

मै बंदा सीधा साधा हों 
अपने परिवार बीना आधा हों 
अहम् भाव से मारा हों 
गुस्से को ना अभी त्यागा हों 
मेरी ये कहानी है .............

कर्म भुमी ये देवभुमी है 
पली गाम का रही बासी हों 
मै हों उत्तराखंडी गर्व मुझ को 
मै पहाड़ मै रहने वाला हों 
मेरी ये कहानी है .............

सीधी साधी मीठी बोली मेरी
ना बनी अब तक ये भाषा है 
गढ़ को देखकर मुझ को ऐ आशा है 
कुछ भी नहीं यंहा गम तो साजा है
मेरी ये कहानी है .............

बंदा यखरा यखरा मै सही 
दो टुक खरी खरी मेरी बाणी है 
कमी को मेरी हथेली मै गीनवाओ
पीठ पीछे ना उसे तुम सुनाओ 
मेरी ये कहानी है .............

मेरी ये कहानी है 
आप के लिये अनजानी है 
ये जो रवानी है 
दो दिन की जिंदगानी है
मेरी ये कहानी है .............

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी 
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