वो हाथ
यमुना नदी के तट पर
दाग नजर आता है
संग मरमर के कब्र पर
टूटा ताज नजर आता है
सफेद चादर पर देखो
खुशी का मातम छाता है
कटे कारीगरों के खुन से
सना हाथ नजर आता है
यमुना नदी के तट पर ............
मोहब्बत की याद मै
मुग़ल शेर गुराता है
मुमताज को खोने से
मकबरा बनवाता है
यमुना नदी के तट पर ............
कैसी विडबना है प्रेम की
सात आश्चर्युं मै गीना जाता है
मकबरे पर कटे वो हाथ
नजरों से ओझल हो जाता है
यमुना नदी के तट पर ............
यमुना नदी के तट पर
दाग नजर आता है
संग मरमर के कब्र पर
टूटा ताज नजर आता है
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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