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जीकोडी मेरी


जीकोडी मेरी 

किलै वाहलु ...२
धक् धक् ध्क्ध्याट
रग रग राग्याट कणु वाहलु 
किलै वाहलु ...२............
सुचणु 
गढ़ देश मेरु आज 

क्या ये मा दाडी च 
सुख दुखा की घड़ी च 
यकुली ही लगी च 
लगुली जीकोडी भीत्र जमी च 
किलै वाहलु ...२............
सुचणु 
गढ़ देश मेरु आज 

खैरी ऐरै दगडया 
झट विपदा दीदी थै बुला 
उकालू भुल्हा छुयीं लगाणु
उन्दारू दीदा की कथा सुणाणु 
किलै वाहलु ...२............
सुचणु 
गढ़ देश मेरु आज 

आंखी बच्चाण मा लगी 
गढ़ देश की मेर गंगा 
अब यख सुख्याण लगी 
बाटा पछायाण मा लगी 
किलै वाहलु ...२............
सुचणु 
गढ़ देश मेरु आज 

किलै वाहलु ...२
धक् धक् ध्क्ध्याट
रग रग राग्याट कणु वाहलु 
किलै वाहलु ...२............
सुचणु 
गढ़ देश मेरु आज 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी 
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