शब्द (अक्षर )
बाद मुदत शब्द से मुलकात होयी
उसे समझने मै ही उमरदरज गयी
कोशीश की थी मैने वो नाकाम होयी
दर्पण मै मेरी तस्वीर मक़ाम होयी
गैरैतै चश्म का वो इजहार सा होआ
पर्दाये हुस्न शब्द से करार सा होआ
गर की सूरत सी वह मुझसे शुमार होयी
कलम ये दावत के फर्श पर बीमार होयी
कतराये खून की शोखी मै वो गुलबदन
पतझड़ ये अशीकी मझार मै दफाहा होयी
शब्द नै देखी जब खुद की गुरबातै बोन्द
हलक मै शब्द के फिर से सरसाहटा होयी
बाद मुदत शब्द से मुलकात होयी
उसे समझने मै ही उमरदरज गयी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी

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