आवाज आती है
आवाज आती है पहाड़ों से कंही
मुझे बुलाती है पहाड़ों से कंही
सड़कें ऐ रहें निगाहें हैं कंही
अकेलें सिस्कीयां गाती है कंही
आवाज आती है .............
आवाज आती है गांवों से कंही
पगंडंडीयाँ बुलाती अपनों को कंही
बचपन आवाज साथ देता है
जवानी साथ छुड देता है
आवाज आती है .............
आवाज आती है मकानों से कंही
चबुतरा ओ छाजा बुलाता है कंही
ओ प्यार ओ दुलार उमड़ता है
आँखों मै अब भी ओ उभरता है
आवाज आती है .............
आवाज आती है इस दिल मै कंही
मुझे बुलाती है वो सात वचन कंही
माँगा मै सिंदूर वो सजती होगी
अपने आप को समझती होगी
आवाज आती है .............
आवाज आती है उतराखंड से कंही
मुझे बुलती है जन्म भुमी यंही
मिट्टी मिट्टी को ही पुकारती है
उस से अलग वो कैसे रह पाती है
आवाज आती है .............
आवाज आती है पहाड़ों से कंही
मुझे बुलाती है पहाड़ों से कंही
सड़कें ऐ रहें निगाहें हैं कंही
अकेलें सिस्कीयां गाती है कंही
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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